Hysteria 

हिस्टीरिया

हिस्टीरिया अवचेतन अभिप्रेरणा का परिणाम है।

अवचेतन अभिप्रेरणा अन्तर्द्वन्द (जैविक रासायनिक क्रिया) से चिंता उत्पन्न होती है। और यह चिंता विभिन्न शारीरिक क्रियाएं संबंधित एवं मनौवैज्ञानिक लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है।

हिस्टीरिया रोग के लक्षण में बाह्य लक्षणों की अभिव्यक्ति पाई जाती है। तनाव से छुटकारा पाने का हिस्टीरिया एक साधन भी हो सकता है।

हिस्टीरिया अधिकतर अशिक्षा व अंधविश्वास फैले क्षेत्र में ज्यादातर होता है। यह विकसित एवं शिक्षित क्षेत्र में नगण्य पाया जाता है। यह भावनात्मक रूप से अपरिपक्व एवं संवेदनशील प्रारंभिक बाल्यकाल से किसी भी आयु के पुरुषों या महिलाओं में पाया जाता है। दुर्लालित एवं आवश्यकता से अधिक संरक्षित बच्चे इसके अधिक शिकार होते हैं। किसी दुखदाई घटना तथा तनाव के कारण दोरे पड़ सकते है।

रोगी का व्यवहार

हिस्टीरिया रोग से पीड़ित का जी मिचलाने लगता है। सांस कभी धीरे कभी तेज चलने लगती है तथा बेहोशी छा जाती है। रोगी के हाथ पैर अकड़ने लगते है रोगी अपने दिमाग पर काबू नहीं पा सकता जैसे अचानक रोने लगना, अचानक हंसने लगना। कोई रोगी मोन व चुप पड़ा रहता है। कोई रोगी बड़बड़ाता है कोई दूसरों को मारने पीटने दोड़ता है। कोई चीख के साथ जमीन पर गिर जाना। कभी बैठे बैठे बेहोश हो कर गिर जाना। रोगी क्षण भर के लिए ताकतवर एवं दूसरे क्षण एक दम कमजोर, बिल्कुल जाम नहीं रहना। परेशान करने वाली हिचकी, डकार शुरू हो जाना, मुंह से विचित्र आवाज करना और पैशाब बंद हो जाना।

लक्षण

देखना व सुनना बंद हो जाना, मुंह से आवाज नहीं निकलना, हाथ पैर कांपने लग जाना, शरीर का कोई हिस्सा सुन्न पड़ जाना। बोलने की शक्ति कम होना, निगलने तथा श्वास लेते समय दम घुटना, गले या आमाशय में” गोला” बनना बहरापन, हंसने या चिल्लाने के दोरे पड़ना। एक से अधिक अंगों में पक्षाघात होना या संवेदन क्षीणता हो जाती है जिसमें सूई चुभोने पर भी अनुभूति नहीं होती है। कुछ मामलों में अत्यधिक मात्रा में बोलना, कुचेष्टाऐं, अजीब हरकतें करना और गाली गलौज करना भी इस रोग का लक्षण है। हिस्टीरिया में रोगी का अचानक हंसना, बेहोशी, उलटी, दम घुटना, बोलने में परेशानी, ऐंठन, ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना आदि…..

इस रोग में पूरी तरह बेहोशी नहीं आती। बेहोशी समाप्त होने के बाद रोगी को खुलकर पिशाब आता है रोग की उत्पत्ति के पहले हृदय में पीड़ा जंभाई बेचेनी आदि लक्षण भी होते हैं। पिडित रोगी को सांस लेने में दिक्कत (कठिनाई), गला सूखना, सिर, पैर, पेटमें दर्द, गले में कुछ फंस जाने का आभास होना, शरीर को छूने मात्र से दर्द होना, आलसी स्वभाव मेहनत करने का बिल्कुल मन नहीं करना। रात में बिना कारण जागना, सुबह देर तक सोते रहना, भ्रमित होना, पेट में गोला उठ कर गले तक जाना, दम घुटना, थकावट, गर्दन का अकड़ना, पेट में आफरा होना, डकारों का अधिक आना, हृदय की धड़कन बढ़ना, लकवाग्रस्त व अंधापन हो जाना रोगी का प्रकाश में नहीं देख पाना।

रोग का कारण

हिस्टीरिया एक मानसिक समस्या है। जिसके पिछे मुख्य कारण तनाव है। गंभीर सदमा लगना, भावना को दबाना, हादसा, आर्थिक कारण एवं दाम्पत्य जीवन में परेशानी होना आदि हिस्टीरिया के कारण होते हैं।

हिस्टीरिया रोग होने पर पहले से आभास होता है। किंतु मिर्गी का दोरा कभी भी कहीं भी अचानक आता है जिसमें रोगी को कुछ भी सोचने समझने का मोका नहीं मिलता है

हिस्टीरिया से महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ अधिक शारीरिक हार्मोनल बदलाव होते हैं विवाह के बाद नये घर में जाने के बाद वेवाहिक जीवन में परेशानी के कारण होता है चूंकि महिला अधिकतर मनकी बात मन में ही दबा देती है तो इह रोग के फैलने की संभावना रहती है।

  • हिस्टीरिया अधिक चिंता, मानसिक तनाव, सदमा, प्रेम में असफलता, मानसिक दुःख या गहरा आघात। यौन उत्तेजना बढ़ने के कारण। स्त्रियों के जरायु या गर्भाशय, डिंब कोश में गड़बड़ी होने के कारण। स्रायु मंडल की क्रिया में विकार उत्पन्न हो सकता है। किसी तरह के मनों भावों को व्यक्त नहीं कर पाने के कारण गुल्म वायु या हिस्टीरिया रोग हो जाता है
  • मासिक स्त्राव का समय ना होना या स्त्राव के समय अत्यधिक दर्द होना विवाह देर से होना या सेक्स से संतुष्ट नहीं होना। योनि या गर्भाशय में सूजन होना। डर, दिमागी आघात पहुंचना, शोक या शरीर की कमजोरी, यह रोग अधिकतर स्त्रियों में शादी के बाद पति का विदेश जाना, विधवा होना, सेक्स से संतुष्ट नहीं होना।
  • कभी भारी दुर्घटना हुई हो, जिसे रोगी भुलाने की कोशिश करता रहा हो और भूल नहीं पाए। युवती को सेक्स करने की इच्छा होवे और उसे बार बार दबाना पड़ता हो। या किसी को संभोग के बाद संतुष्टि नहीं हो जिससे हीन भावना से ग्रस्त हो जाना। कब्ज़, अनियमित मासिक धर्म, पति पत्नी में नोक झोंक जिससे घर में क्लेश होना।

उपाय

हिस्टीरिया प्रभावित रोगी को हवादार स्थान में लेटाया जावे, शरीर के कपड़े ढीले रखें। रोगी के हाथ पेरों के सरसों सरसों के तेल से मालिश करें। पेरों को उपर उठाया रखें जिससे पेरों का रक्त का सही प्रवाह हो सके। इसके लिए विपश्यना ध्यान ही सही इलाज है।

हिस्टीरिया यूरेपियन देशों जो विकसित शिक्षित देश है वहां नहीं होता है। फिर भी पुराने समय में यूट्स में गड़बड़ी

वाली बिमारी माना जाने लगा। हिस्टीरिया शब्द हिपोक्रेट्स” से बना, हिपोक्रेट्स कोनो जानवर का नाम न्हीखे

मेडिसिन के इतिहास का अच्छा जानकार था जिसने औरतों के शरीर में होने वाली बिमारियों के बारे में लिखा। आखिर उन्नीसवीं सदी में मान लिया हिस्टीरिया एक मानसिक बिमारी है।

हिस्टीरिया, गुल्म रोग, गुल्म वायु, न्यूरोसिस, Hysteria इसलिए इसे दिमागी बिमारी कहते हैं। यह 15_20 वर्ष के युवक युवतियों में अधिकतर दिखाई देता है।

प्राकृतिक चिकित्सा

  • हिस्टीरिया रोग के लक्षण का पता लगते ही मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
  • रोगी को डराना या मारना नहीं चाहिए।
  • रोगी कहीं गलती से अपना नुकसान नहीं पहुंचा पाये।
  • रोगी को प्रसन्न रखना एवं रोगी की पूरी इच्छा की पूर्ति करना। रोगी को शांत वातावरण में घुमाना। रोगी के सामने कोई चिंता ग्रस्त बातें नहीं करनी जिससे रोगी को चिंता सताए।
  • रोगी के सारे कपड़े ढीले कर के खुली हवा में लेटाना चाहिए। हाथ व तलवों को मसलना चाहिए।
  • रोगी बेहोश हो जाये तो रोगी के अंगूठे के नीचे नाखून चुभोना चाहिए। चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारे जाने चाहिए।
  • रोगी को प्याज़ काट कर या हींग सूंघाने से होंश आता है।
  • रोगी को फल तथा बिना पका भोजन खिलाना चाहिए, अधिक से अधिक जामुन खिलाना चाहिए।
  • रोगी को दिन में तीन बार एक एक चम्मच शहद चटाना चाहिए।
  • रोगी के खून कम होने की स्थिति में शहद में लोहभस्म मिला कर चटाना चाहिए।
  • रोगी को खाने में मक्खन घी लगाकर रोटी दाल खिलाएं। हिस्टीरिया की दवा
  • आक के फूलों की एक माशा खुराक देने से हिस्टीरिया दूर होता है।
  • बकायन के पत्तों का काढ़ा (शर्बत) देने से हिस्टीरिया दूर होता है।
  • चार लहसुन की कली पीस कर दूध में उबालकर रोज़ पीने से हिस्टीरिया दूर होता है।
  • हरड़, सोंफ, अमरूद के पत्ते, काला नमक मिलाकर देने से हिस्टीरिया दूर होता है।
  • ऐमोनियाकार्ब नौसादर व कली के चूने को समान भाग लेकर बारीक पीस कर कांच की शीशी भर कर रख लेना चाहिए हिस्टीरिया होने पर इसे सूंघाने पर आश्चर्यजनक लाभ होता है
  • शंखपुष्पी, जटामांसी, ब्राम्ही का शरबत

नोट – ऐमोनिया कार्ब तंबाकू के साथ देने से भी आश्चर्यजनक लाभ होता है। नासका बना लेवें)

अतः इस संस्था द्वारा ज्यादा हिस्टीरिया बिमारी फैलने वाले क्षेत्र में जागरूकता पैदा करना विपश्यना से हिस्टीरिया कैसे स्वस्थ रह सकते हैं। रोगी को चिकित्सा केंद्र तक पहुंचाना एवं इलाज करवाना आदि।

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